आखिर दुनियां में इतनी गर्मी क्यों पड़ रही हैं? क्या खत्म हो जाएगी दुनिया?
सुरज इतना क्यों तप रहा हैं? HEATWAVE
क्या तपता हुआ सुरज धरती का विनाश करेगा?
वेज्ञानिको के अनुसार हमारी पृथ्वी पर हर साल गर्मी बढ़ रही है और यह हम महसूस भी कर रहे हैं, लेकिन इसका कारण क्या हैं, क्यों सुरज अपना रौद्र रूप दिखा रहा हैं क्या यह प्रथ्वी के विनाश का कारण बनेगा, चलाइए इस पर दृष्टि डालते हैं,
कुछ रिपोर्ट के मुताबिक कहा जाता हैं की सूर्य पर विस्फोट होने के कारण गर्मी बढ़ रहीं हैं, लेकिन असल में सूर्य में विस्फोट सदियों से होते आ रहें हैं और होते रहेंगे, सूर्य जैसा करोड़ों साल पहले चमकता था वैसा ही अभी चमक रहा हैं, तो यह गर्मी क्यों पड़ रहीं हैं चलिए समझते हैं।
प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, पेड़ पौधे,पानी, हवा, बादल ,वातावरण, सर्दी गर्मी,खूबसूरत वादियां, झरने, ग्लेशियर, लेकिन इंसान ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति को भी नहीं बक्सा, आज के समय में इंसान प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है आए दिन प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा हैं लेकिन इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
गर्मी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण क्या है।
गर्मी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन हैं, और इसका कारण हैं स्वय इंसान, आज नए नए उधोगो एवम मानवीय आवस्यकताओ की पूर्ति हेतु किए जा रहे विकास भी इसके जिम्मेदार हैं, जैसे
पक्की सड़कें एवम पक्की ईमारत - आज हर जगह पक्की सड़कें एवम ईमारत बन रही है जिससे सूर्य से पड़ने वाली हिट को और ज्यादा प्रभावित करती हैं, कोकरेट या सड़क बनाने वाली सामग्री सूर्य की किरणों से गर्मी उत्पन्न करती हैं और फिर उसे वापस छोड़ती हैं जिसके कारण शहरों में या फिर अधिक सड़कों वाले स्थान पर हमे हिट वेव का सामना करना पड़ता है,
अगर सूर्य की किरणे सीधे घास पानी या मैदान में पड़ती हैं तो वहां पर इतना
बढ़ते हुए परिवहन
आज हर व्यक्ति के पास कुछ ना कुछ साधन है चाहे वह टू वहीलर या फॉर वहीलर जिससे प्रदूषण नियंत्रण नहीं हो पाता हैं और यह प्रदूषण हमारे वायुमंडल को प्रभावित करता हैं जिससे हमें उमस महसूस होती है,
आज के युग में ज्यादातर लोग अपने घरों में ऐसी (AC) लगवाते है यह अंदर की नमी को निकाल कर बाहर की हवा में छोड़ देती हैं जिससे गर्मी अधिक बढ़ती है,
कटते हुए पेड़ पौधे
आज मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हर देश में अलग अलग कदम उठाए जा रहे हैं सब जगह पक्की सड़कें पक्की इमारतें बन रही है, जिसके लिए पेड़ पौधे काटे जा रहे हैं, पेड़ पौधे कम होने की वजह से भी जलवायु परिवर्तन हुआ है, उधारण के लिए देखा जाए तो अमेजन के जंगलों में सबसे अधिक बारिश देखने को मिलती हैं,
बढ़ते हुए उद्योग
आए दिन उद्योगों की संख्या में वृद्धि हो रही हैं जिसके कारण प्रदूषण भी बढ़ रहा हैं करोड़ों लीटर दूषित पानी को ऐसे ही नदी नालों में छोड़ा जा रहा हैं,
नदियों के पानी को रोकना
प्रकृति हमे जो भी दे रही हैं वह सब सही है यह वैसे ही हैं जैसे एक राजा कुछ अमीर लोगो से लगान लेकर बाकी जनता में बांट देता हैं,
प्रकृति के नियमानुसार एक नदी ग्लेशियर से निकलकर समुद्र में गिरती हैं, फिर वही पानी बदलो के माध्यम से सब जगह पानी की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, लेकिन इंसान द्वारा अपनी दिनचर्या आसान बनाने और अपने सुख हेतु नदियों के रास्ते को मोड़ दिया जाता हैं या फिर डैम के माध्यम से पानी के निकास को रोक दिया जाता हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन की संभावनाएं बनती हैं,
क्या धरती का विनाश हो जायेगा
जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहें हैं बर्फिले स्थानों पर भीषण गर्मी झेलनी पड़ रही है, धरती का तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं, वायु दूषित हो रही है, भूमिगत जलस्तर घट रहा हैं, यह स्थिति विनाश का ही संकेत हैं, अगर प्रकृति को बचाने हेतु ठोस कदम नहीं उठाए गए तो कुछ ही वर्षों में परिणाम गंभीर हो सकते है।
हम अपने पाठकों से प्रकृति को बचाने के लिए कम से कम 2 पेड़ लगाने का अनुरोध करते है, पेड़ लगाए पर्यावरण बचाएं।
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1 Comments
Bahut sundar post ... Nice..
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